AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 10

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AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 10


AP Inter First Year Zoology Question Paper May 2016

Download AP Inter 1st Year Sanskrit Model Paper Set 7 with Answers Here


Time : 3 Hours
Max Marks : 100


सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खण्ड – ‘क’
(60 अंक)


1. निम्नलिखित किसी एक पद्यांश का भावार्थ लिखिए ।

पोभि पढि – पढि जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
ढाई अक्षर प्रेम का, पढे सो पंडित होय ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।
संदर्भ :- इसमें प्रेम की महानता के बारे में कवि कह रहे है ।
व्याख्या : – कवि का कहना है कि केवल बड़े – बड़े ग्रंथ पढने से कोई भी पंडित नहीं बन सकता बल्कि समय व्यर्थ होजाता है । यदि कोई भी व्यक्ति प्रेम रूपी अक्षर को पढ सकता है अर्थात जिसे प्रेम की महानता मालूम हो जाती है, वह महान बन सकता है ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें सबके साथ प्रेम के साथ व्यवहार करने का सन्देश कवि दे रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

अथवा

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो झटकाय ।
टूट से फिर ता जुरे, जेरे गाँठ पड जाय ॥
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
सन्दर्भ :- इसमें कवि प्रेम की महानता के बारे में कह रहे हैं ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि प्रेम रूपी कच्चे धागे को खींचकर मत तोडो। क्यों कि उसको फिर ठीक करना आसान नहीं है । यदि टूटे धागे को बाँधा भी जाय, फिर भी उसमे जोडने के गाँठ दिखाई पडते हैं | उसी प्रकार यदि प्रेम की भावना नही होती तो मानव सम्बन्ध भी ठीक से नही चलते ।

विशेषताए :-

  1. सब के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने का सन्देश कवि देते हैं ।
  2. उनकी भाषा व्रज भाषा है ।

 


2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।

 

1) भिक्षुक
उत्तर:
एक भिखारी की दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए निराला जी कह रहे हैं कि एक भिखारी टूटे हुए हृदय से अपनी दयनीय स्थिति पर पछताता हुआ उस पथ पर आ रहा है । उसका पेट और पीठ दोनों मिले हुए दिखाई पड रहे हैं । अर्थात भूख के कारण उसका पेट पीछे चला जाकर पीठ से मिल गया जैसा दिखाई पड रहा है। उसने चलने के लिए भी शक्ति नही है । इसलिए हाथ में डंडा लेकर धीरे-धीरे अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए फटे हुआ होल को मुँह फैलाता है । उसके साथ दो बच्चे भी हाथ फैलाकर चल रहे हैं। वे अपने बाए हाथ से भूखे पेट को मल रहे है और दाहिनी हाथ से दया की भीख माँग रहे हैं। भूख के कारण उनके ओठ सूखे जा रहे हैं । दाताओं से भीख माँगकर अपने भाग्य परखने के लिए उनके पास शक्ति भी नही है । यदि कही सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए मिले तो उनसे पहले ही उन जूठे पत्तलों को झपटने के लिए कुत्ते वहाँ खडे थे । इतनी दयनीय स्थिति उस भिखारी परिवार की थी ।

इस प्रकार कवि की प्रयोगवादी दृष्टिकोण इसमें दिखायी पड रहा है । भिखारी की दयनीय स्थिति के द्वारा शोषित वर्ग की ओर कवि संकेत दे रहे है । शोषक और शोषित वर्ग भिन्नता का स्पष्ट चित्रण वे दे रहे है । उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

2) अकाल और उसके बाद
उत्तर:
कवि ने इसके अकाल के समय और अकान के बाद की स्थिती को दो पद्यों के द्वारा विस्तार रूप मे वर्णन किया । अकाल के समय में घर पर खाने के लिए अनाज का अभाव है इसलिए कई दिनो से जला और अनाज के अभाव से आठा न पीसने के कारण चक्की के भी काम नही किया । चूहे
। चूल्हा न जलने से घर का एक का अंख वाला कुत्ता उसी के पास सो रही है। खाना न मिलने से सारा घर और आदी जन्तुएँ भी उदास है । घर के लोग उदास से एक बैठे हुए है । और दीवार पर छिपकलियाँ गस्ती देखे हैं । कई दिनों से अकाल से पीडित होते वाले घरों में अनाज न मिलने से चूहो की स्थिति भी बडी दयनीय थी ।

अब अकाल चल गया । बहुत दिनों के बाद घर मे अनाज आया । चूल्हे जलने से घर के आंगन मे धुँआ उठा । घर के सभी लोगो की आँखों मे चमक उठी अर्थात सब लोगों मे असाह भर गया | भोजन के बाद केंके हुए अन्न से अपने पेट भरने की आशा से काँठा भी पंख खुजलाकर इत्तर इन्तजार कर रही हैं ।

इस्प्रकार कवि ने अकाल से पीडित जनता की दयनी स्थिति और बाद की स्थिति का मार्मिक रूप से चित्रण किया है । अकल की दुस्थिति केवल लोंगों पर ही नहीं बल्कि उनके चारों ओर वातारिण को किस प्रकार प्रभावित करती है, उस्का स्पश्ट चित्रण किया है। उनकी भाषा सरल खडी बोली है।


3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए ।

1) आन्ध्र संस्कृत
उत्तर:
संस्कृति अर्जित आचरणों की एक व्यवस्था है । संस्कृति मानव की जीवन पद्धति है और विचारों, आचरणों और जीवन के मूल्यों का सामूहिक नाम है। भारतीय संस्कृति के बारे में दिनकर जी का कहना है कि संस्कृति जिंदगी का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर एक उस समाज मे छाया रहता है जिसमें हम जन्म लेते है ।

भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । उसका प्रादेशिक रूप तेलुगु संस्कृति है और यही आन्ध्र संस्कृति कहलाती है । आन्ध्र राज्य का इतिहास शातवाहनों से आरंभ होता है । इनके समय मे आंध्र मे आर्य व द्रविड संस्कृतियों का अपूर्व संगम हुआ था । शातवाहनों के बाद आन्ध्र संस्कृति के विकास में इक्ष्वाकु, चोल, चालुक्य, पल्लव, काकतीय, विजयनगर राजाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा । काकतीयों के समय 14 वी शताब्दी में आंध्र मे मुसलमानों का प्रवेश हुआ। जिससे एक और नयी संस्कृति का समावेश हो गया । ऐतिहासिक व राजनीतिक रूप से आंध्र प्रदेश दो भागों में विभक्त है – कोस्ता तटीयान्ध्र तथा रायलसीमा । गोदावरी, कृष्ण, आन्ध्र की प्रमुख जीव- नदियाँ है इनके अलावा छोटी-छोटी नदियों भी प्रवाहि पायी जाती है । आन्ध्रप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और अनाज मुख्य फसल है इसके अलावा मकई, मिर्च, कपास, मूंगफली, तम्बाकू व जूट अन्य फसल है। आंगेलु पशुओं की भारतभर प्रसिद्धि है । आन्ध्र का एक विशेष उद्योग है – नौका निर्माण उद्योग ।

आन्ध्र प्रदेश धार्मिक रूप से एक संपन्न राज्य है । यहाँ पर वैदिक, बौद्ध, जैन, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, इस्लाम, सिख, ईसाईधर्म, नास्तिक धर्म आदि विराजमान हैं। बौद्ध संस्कृति और जैन धर्म से संबंधित मन्दिर और स्तूप और अनेक विहार यहाँ पर व्याप्त है । हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर भी निर्मित हुए जैसे द्राक्षारामम्, हंपी, ताडिपत्रि, लेपाक्षी आदि। कला और संस्कृति का भी विकास यहां पर हुआ । यहाँ पर नाग, यक्ष जातियों के साथ-साथ अनेक पर्वत और जंगलों जातियों भी विकास हुआ ।

संस्कृति मानव जीवन की आदर्श आचार सहित है । संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकलाओं के साथ हरिकथा, बुर्राकथा, चेंचु नाटक भी प्रचार में है । अन्नमाचार्य, रामदास, त्यागराज और क्षेत्रच्या के साथ 3 बीसवी राती के मंगलंपल्लि बालमुरली कृष्ण भी प्रसिद्ध वाग्गेयकार थे । कूचिपूडि, भरतनाट्यम, कथकली, कथक नृत्यों के साथ कलंकारी, कोंडपल्लि गुडियाँ, एटिकोप्पाका गुडिया, मंगलगिरि, उप्पाडा, पोंडूरू, वेंकटगिरि वस्त्र आदि प्रसिद्धि है ।

आन्ध्र प्रान्त मे अनेक पर्व और त्योहार मनाये जाते है जैसे संक्रांति, महाशिवरात्रि, उगादि, श्रीरामनवमी एरुवाका पूर्णिमा, विनायक चविति, दशहरा, दीपावली रमजान क्रिसमस आदि बनाया जाता है | विवाह तो जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है । यहाँ के स्त्री-पुरुष कईतरह के आभूषण पहना करते थे । अनेक तरह के खेल खेला करते थे । यहाँ के व्यंजन भी सांप्रदायिक और प्रसिद्ध है | चावल प्रधान भौजन है । अमरावती, अन्नवरम् तिरूपति, कनकंदुर्गम्मा नन्दिर, पंचारामम यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिर है ।

आंध्रसंस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित हुआ है | आंध्र में अष्टावधान नामक एक विशिष्ट साहित्य प्रक्रिया विकसित हुआ । आन्ध्र की राजभाषा तेलुगु है । नन्नया, तिक्कना, एर्राप्रगडा ने महाकाव्य महाभारत का तेलुगु मे अनुवाद किया । प्राचीनकाल के रचनाकारों में पालकुरिक सोमनाथ, श्रीनाथ, पोतना और आधुनिक साहित्यकारों मे गुरजाडा, कंदुकूरी, कृष्णाशास्त्री, श्री श्री, गुर्रम जाषुआ, चिन्नयसूरी जैसे और भी अनेक है ।

इस प्रकार आन्ध्र संस्कृति विभिन्न जाति, धर्म, जाति, व वर्ण के लोगों से मिश्रित है । फिर भी राज्य मे सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक एकरूपता का आभास स्पष्ट झलकता है ।

2) शिवाजी का सच्चा स्वरूप
उत्तर:
शिवाजी मराठा शासक थे। एक बार सेनापति मोरोपंत पिंगले के नेतृत्व में शिवाजी की सेना ने कल्याण प्रान्त पर आक्रमण किया था । उस किले के सूबेदार अहमद को परास्त कर वहाँ के खजाने को लूटा था । साथ-साथ सुबेदार की पुत्रवधू को भी बन्दी बनाया गया था ।

सुबेदार अहमद की पुत्रवधू बडी सुन्दरी थी। जब वह भेंट के रूप मे प्रस्तुत की गई, तो शिवाजी बहुत हैरान हो गये । उसमें उन्हे बहुत दुख हुआ । ‘माँ’ के रूप में उसको सम्बोधित करते हुए शिवाजी ने अपने सेना द्वारा किये गये इस घृणित कार्य के लिए उससे क्षमा मांगी और कहा कि उसकी खूबसूरती की मात्र पूजा कर सकते है । अहमद की पुत्रवधू को सादर उसके शौहर के पास पहुँचाकर शिवाजी ने यह घोषणा की कि भविष्य में यदि कोई ऐसा कार्य करेंगे तो उन्हे मृत्यु दंड दिया जायेगा ।

इस प्रकार यह एक ऐतिहासिक एकांकी है। इसमें नाटक की तरह पात्र तथा चरित्र चित्रण, वार्तालाप आदि का चित्रण किया गया है एकांकी का नायक शिवाजी के चरित्र को महान और नारी के प्रति सम्मान रखने के रूप में दर्शाया गया है । उनकी भाषा सरल और सुबोध है ।


4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।

1) परमात्मा का कुत्ता
उत्तर:
‘परमात्मा का कुत्ता’ मोहन राकेश की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। इसमें आप सरकारी दफ़्तरों में व्याप्त लालफीता शाही, भ्रष्टाचार तथा उदासीनता का सजीव चित्रण करते हैं । कहानी के आरंभ में एक सरकारी दफ्तर के परिसर का चित्रण किया गया । वहाँ कई लोग अपनी फाइलों का काम पूरा होने की आशा रखकर इंतजार कर रहे होते हैं । उनमें बाल-बच्चे, बूढ़े, निस्सहाय बहुत होते हैं, किन्तु वहाँ के कर्मचारियों पर इनकी स्थितिगतियों का कोई प्रभाव नहीं रहता । एक बूढ़ी अपने मरे हुए बच्चे को मिली ज़मीन के बारे में पूछती है किन्तु उसका जवाब देनेवाला कोई नहीं है। सभी कर्मचारी अपने में मस्त और इन लोगों के प्रति उदासीन रहते हैं । कुछ सरकारी बाबू कविता – ग़जलें आदि सुनने-सुनाने में मग्न हैं तो कुछ कर्मचारी मजे में बातें करते रहते हैं । कई लोग चाय पीते रहते हैं। फाइलों का काम उन्हीं का जल्दी होता है जो इन लोगों को कुछ पैसे घूस के रूप में देते हों । इन सबके ऊपर अधिकारी जो कमीशनर साहब हैं वे भी कुछ दस्तख़त करके मैगजीन वगैरा पढ़ने में व्यस्त रहते ।

ऐसे में एक अधेड़ आदमी अपनी भाभी और बच्चों के साथ दफ़्तर के परिसर में प्रवेश करता है। आते ही वह अपनी पगड़ी जमीन पर बिछाकर परिवार सहित बैठ जाता है और ऊँची आवाज से कहने लगता है कि सरकार इतने सालों से उसकी अर्जी पर फैसला नहीं ले सकी । वह पाकिस्तान से आया हुआ भारतीय है और उसके कुछ रिश्तेदार अभी पाकिस्तान में ही हैं । उसके पुनरावास की समस्या हल नहीं हुई । सात वर्ष घूमने के बाद ज़मीन के रूप में नालायक गड्ढा मिला । उसने अर्जी रखी कि उस गड्ढे के बदले थोड़ी कम ज़मीन ही क्यों न हो, अच्छी दिलवायें । उसके अर्जी रखे दो साल बीत गये किन्तु सरकार का फैसला अब तक नहीं हुआ | वह सरकार की कार्रवाई से ऊब जाता है और आज सीधे कार्यालय में घुस पड़ता है कि काम करके ही वापस जाऊँगा । वह कहता है कि कर्मचारियों ने उसका नाम भी बदल डाला अब वह ‘बारह सौ छब्बीस बटा सात’ है क्योंकि वही उसकी फाइल का नंबर है । धीरे-धीरे सबका ध्यान उस पर जाने लगता है और चरपासी उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है । इतने में वह अचानक सरकारी कर्मचारियों को कुत्ता साला’ कहते हुए गाली देने लगता है ।

वह इसका विवरण भी प्रस्तुत करता है कि सरकारी कर्मचारी सब के सब कुत्ते हैं जो आम लोगों की हड्डियाँ चूसते हैं और सरकार की तरफ से भौंकते हैं। पर वह तो परमात्मा का कुत्ता है जो परमात्मा की तरफ से भौंकता है । परमात्मा का कर्तव्य है इन्साफ़ (न्याय) की रक्षा करना । अतः वह आज भौंककर इन सरकारी कुत्तों के कान फाड़ देगा । यह शोर-शराबा सुनकर कुछ सरकारी बाबू बाहर आते हैं और उसे शांत करने की कोशिश करते हैं। एक बाबू कहता है कि उसका काम ‘तकरीबन ‘ (लगभग) हो गया । पर अधेड़ व्यक्ति मानता नहीं और कहता है कि यदि आज उसका काम पूरा नहीं हुआ तो वह नंगा होकर कमीशनर साहब के पास जाएगा | धमकी के तौर पर वह अपनी कमीज़ भी उतार देता है जिससे वहाँ के सब कर्मचारी डर जाते हैं । कमीशनर साहब बाहर आते हैं और उसे लेकर कार्यालय के अपने कमरे में जाते हैं। आधे घण्टे में अधेड़ व्यक्ति का काम हो जाता है । अधेड़ आदमी विजयगर्व से बेताज बादशाह की तरह अकड़कर (రొమ్ము విరుచుకుని) बाहर आता है । वह बाहर इंतजार करते लोगों से कहता है कि ‘इस तरह चूहों की तरह रहने से काम नहीं बनेगा, जागो-भौंको और इनके कान फाड़ दो’ । अधेड़ आदमी के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि भद्र व्यवहार से सरकार ही नींद नहीं खुलेगी, बेहयाई (నిస్సిగ్గుగా వ్యవహరించుట) से ही सरकारी दफ़्तरों में काम होता है ।

इस कहानी में समाज की वास्तविक परिस्थितियों का चित्रण किया गया । कहानी की पृष्ठभूमि सरकारी कार्यालय है । ‘कुत्ता एवं भौंकना’ मात्र प्रतीक हैं । इन दोनों शब्दों के लिए ‘जागरूक’ तथा ‘सचेत कार्यवाही’ के अर्थ लेने चाहिए । मोहन राकेश इस कहानी के द्वारा बताते हैं कि जनता जब सचेत बनेगी तभी भ्रष्टाचारों का नाश होगा |
सन्दर्भ :- इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि का कहना है कि सुख और दुख को समान रूप से स्वीकारने से ही जीवन परिपूर्ण’ होता हैं । जिसप्रकार आकाश मे कभी बादलों के पीछे चाँद और चाँदनी मे बादल ओझल हो जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख दोनों का आना जाना भी स्वाभाविक है

विशेषताएँ :-

  1. जीवन के लिए सुख और दुख होने का आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली हैं ।

5) मुझ तोड लेना वनमाली !
उस पथ पर देना तुम फेंक |
मातृ-भूमि पर शीश चढाने
जिस पथ जावें वीर अनेक
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ :- कवि फूल की चाह के द्वारा अपनी देशभक्ति भावना को व्यक्त कर रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि फूलों के द्वारा अपना विचार व्यक्त कर रहे है कि हे वनवाली ! मुझे अवश्य तोड़ लो । पर तोड़कर उस रास्ते मे मुझे फेंक दो जिस रास्ते पर मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए वीर जाते है। ताकि उनके चरणों के नीचे पड़कर मैं पवित्र हो जाऊँगी और उनके पैरों को मै राहत दूँगी ।

विशेषताएँ :-

  1. देश के लिए बलिदान करने वाले वीरो के प्रति कवि का गौरव स्पष्ट हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

1) वस्तुतः संस्कृति एकाकी व्यक्ति की न होकर समष्टि की होदी है।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण महादेवी वर्मा के द्वारा लिखी गयी “भारतीय संस्कृति और नारी” नामक निबन्ध से लिया गया वे छायावाद से सम्बन्धित प्रमुख साहित्यकार है ।
सन्दर्भ :- इसमें सांस्कृतिक एकता की ओर लेखिका संकेत कर रही है।
व्याख्या :- संस्कृति के अनेक रूप होते है जिनको संस्कृति के विकास क्रम मे भिन्न करके देखना असम्भव है । प्रत्येक संस्कृति की इकाई परिवार, समाज, नगर, राष्ट्र तथा विश्व के रूप मे दृष्टिगोचर होती है । इसलिए कह सकते हैं कि संस्कृति व्यक्ति की नही होती है पर समष्टि की होती है । हम सब संस्कृति के भागीदार होते है ।


विशेषताएँ :-

  1. संस्कृति का व्यापक रूप इसमें दिखाया गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

2) हिन्दू होते हुए भी शिवा के लिए इस्लाम धर्म पूज्य है । इस्लाम के पवित्र स्थान, उसके पवित्र ग्रन्थ सम्मान की वस्तुएँ है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण शिवाजी का सच्चा स्वरूप नामक एकांकी से लिया गया है । इसके लेखक सेठ गोविन्ददास जी है । आप गाँधी जी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता सग्राम मे भी भाग लेकर जेल भी गये ।
सन्दर्भ :- हिन्दू होते हुए भी शिवाजी के मन में हिन्दू और मुसलमान धर्मों के प्रति गौरव स्पष्ट होती है ।
व्याख्या : – हिन्दू होते हुए भी शिवाजी हिन्दू और मुसलमान प्रजा में कोई भेद नहीं समझता । उसकी दृष्टि मे सारी जनता बराबर है । वह स्वयं हिन्दू होकर भी इस्लाम धर्म की पूजा करता है । उनके पवित्र स्थान और पवित्र धर्म के प्रति भी आदर व्यक्त करता है |

विशेषताएँ :-

  1. इसमें शिवाजी की धार्मिक सहिष्णुता स्पष्ट होती है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

3) आजकल पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड रहा है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है ।
सन्दर्भ :- पर्यावरण संतुलन के बिगडने से पर्यावरण प्रदूषण कैसे हो रहा है इसका परिचय इसमें दे रहा है ।
व्याख्या :- जैविक पदार्थ जैसे पेड, पशु-पक्षी, मनुष्य और अजैविक पदार्थ जैसे पहाड, पत्थर, पानी, वायु के बीच संतुलन को पर्यावरण संतुलन कहते है। लेकिन आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड जा रहा है। इससे अनेक दुष्परिणाम प्रकृति में हो रहे हैं। समस्त जगत के लिए यह हानिकारक हो रहा है ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

4) आंध्र संस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह वाक्य ‘आन्ध्र संस्कृति नामक पाठ से लिया गया है इसमें आन्ध्र संस्कृति पर विभिन्न रूपों में दृष्टि डाला गया है ।
सन्दर्भ :- भारतीय संस्कृति के अंतर्गत आन्ध्र संस्कृति का विकास किस प्रकार हुआ है, इसके प्रति ध्यान दिया गया है |
व्याख्या :- भारतीय संस्कृति की सुरक्षा को दृष्टि में रखकर ही आन्ध्र संस्कृति का विकास हुआ है । मूल मे भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्यं व नाटक तेलुगु मे अनुदित है । चंपु काव्य शैली, गद्य रहित द्विपद, शतक, आदि, तेलुगु मे भी लिखे गये । संस्कृत का महाभारत भी तेलुगु मे अनुदित किया गया है। उससे भारतीय संस्कृति सुरक्षित और सर्वव्याप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ :-

  1. भारतीय संस्कृति के प्रति लेखक की रुचि स्पष्ट हो जाती है ।
  2. उनकी भाषा खड़ीबोली है।

7. एक शब्द में उत्तर लिखिए | (पद्यभाग)

(1) रहीम प्रेम की तूलना किससे किया है ?
उत्तर:
कच्चे धागे से ।

(2) फूल क्या नही चाहता है ?
उत्तर:
सुरबालाओं के गहनों में गूँथना, सम्राटों के शवों पर रहना नही चाहता है ।

(3) कबीर के अनुसार व्यक्ति कब पंडित होगा ?
उत्तर:
ढाई अक्षर प्रेम के बारे पढ़ने से पंडित होगा ।

(4) अकाल के समय कुतिया कहाँ सोने लगी ?
उत्तर:
चूल्हे के पास

(5) भिक्षुक कविता में किसकी दयतीय स्थिति का वर्णन हुवा है ?
उत्तर:
भिखारी की


8. एक शब्द में उत्तर दीजिए । (गद्यभाग )

(1) प्राचीन भारतीय संस्कृति में किस को देवी रूप में सम्मानित किया ?
उत्तर:
नारी को

(2) धनगया तो कुछ नही गया, स्वास्थ्थ गया तो कुछ गया, यदि क्या गया तो सर्वस्व चला गया ?
उत्तर:
चरित्र गया तो

(3) कौन घुमक्कडी धर्म से ही महान बन गए ?
उत्तर:
गुरुनानक, स्वामी दयानन्द

(4) प्रदूषण कितने प्रकार के होते है । क्या क्या है ?
उत्तर:
4 प्रकार के होते है ।

  1. भूमि प्रदूषण.
  2. जल प्रदूषण.
  3. वायु प्रदूषण.
  4. ध्वनि प्रदूषण

(5) आन्ध्रप्रदेश मे प्रसिध्द मन्दिरों के नाम बताओ ?
उत्तर:
अमरावती, अन्नवरम, तिरूपति, कनकदुर्गा मंदिर

खण्ड – ‘ख’


9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए :
नौकरी केलिए आवेदन पत्र लिखिए |
उत्तर:

नरसराव पेट,
दिनांक 17.07.2018.

प्रेषक :
वी. सहदेवी,
मकान नं. बी – 185
एन. जी. वो कॉलोनी,
नरसरावपेट – 522601.

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
एस.के.बीर. आर. कॉलेज,
माचल

विषय : हिन्दी प्राध्यापक के लिए आवेदन पत्र |
संदर्भ : दैनिक ईनाडु में 20.6.2018 को प्रकाशित विज्ञापन |

दैनिक ईनाडु में प्रकाशित आपके विज्ञापन के द्वारा मुझे पता चला कि आपके कॉलेज में हिन्दी प्राध्यापक की नौकरी खाली है । इसके उत्तर में मैं आपना आवेदन पत्र आपकी सेवा में विचारार्थ भेज रही हूँ । आपसे प्रार्थना है कि मेरा आवेदन स्वीकार करें मेरे संबंध में विवरण साथ संलग्न
हैं ।

भवदीय,
वी. सहदेवी ।

संलग्न :

  1. दसवी कक्षा प्रमाण पत्र |
  2. इंटरमीडियट प्रमाण पत्र |
  3. बी. ए. प्रमाण पत्र |
  4. एम. ए. प्रमाण पत्र |
  5. चिकित्सा प्रमाण पत्र |
  6. अनुभव प्रमाण पत्र |
  7. यू.जी.सी. नेट प्रमाण पत्र |

अनुभव- मैं स्थानीय प्रभुत्व जूनियर कलाशाला में तीन वर्ष से हिन्दी प्राध्यापिका का काम कर रही हूँ । अंग्रेजी माध्यम से पढने वाले छात्रों के आवश्यकतानुसार मैं अंग्रेजी में भी समझा सकती हूँ ।

धन्यवाद !

हस्ताक्षर,
वी. सहदेवी ।

अथवा

पुस्तक विक्रेता के नाम पत्र लिखिए |
उत्तर:

नागार्जुन सागर,
दिनांक 23.02.2018.

प्रेषक :
वी. मोनिका सहानी,
इंटर प्रथम वर्ष,
मकान नं. बी- 832
नागार्जुन सागर,
सेवा में,
व्यवस्थापक,
लोकमान्य हिन्दी बुक सेंटर,
एल्लुरु रोड, गवर्नरपेट,
विजयवाडा – 2.

मान्यवर महोदय,

कृपया निम्नलिखित हिन्दी पाठ्य पुस्तकों को वी. पी.पी. के द्वारा यथाशीघ्र भेजने का कष्ट करें । अग्रिम राशि के रूप में रू 500/- भेज रही हूँ आपकी ओर से उचित कमीशन मिलने की आशा है ।

  1. साहित्य परिमल – 5 प्रतियाँ
  2. कथा कुंज – 5 प्रतियाँ
  3. हिन्दी व्याकरण – 5 प्रतियाँ
  4. हिन्दी पत्र लेखन – 5 प्रतियाँ

धन्यवाद !

भवदीय,
वी. मौनिका सहानी |


10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

1) अल्पायु × दीर्घायु
2) अर्थ × अनर्थ
3) ऊँचा × नीचा
4) गरीब × अमीर
5) दोष × निर्दोष
6) दिन × रात
7) खूख × दुख
8) हित × अहित
9) घाटा × फायदा
10) जीवन × मृत्यु

11. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के समानार्थ शब्द लिखिए ।

1) अमृत – सुधा, सोम, पीयूष, अमिय ।
2) अख – घोड़ा, घोटक, हथ, तुरंगा |
3) आभा – चमक, कांति, प्रभा, दीप्ति
4) तलवार – खड़ग करवाल, असि, कृपाण
5) पुत्री – बेटी, सुता, आत्मजा, तनया ।
6) बिजली – विद्युत, दामिनी, चपली, सौदामिनी ।
7) मछली – मीन, मकर, मत्स्य ।
8) गुरु – आचार्य, अध्यापक, शिक्षक |
9) तालाब – सर, सरोवर, जलाशय, ताल
10) सूर्य – सुरज, भानु, रवि, दिनकर |


12. किन्हीं पाँच (5) शब्दों की शुध्द वर्तनी लिखिए ।

(1) वहां – वहाँ
2) दर्पन – दर्पण
(3) दुसरा – दूसरा
(4) नदि – नदी
(5) नमश्कार – नमस्कार
(6) विधा – विद्या
(7) पध्य – पद्य
(8) हरष – हर्ष
(9) सहस्त्र – सहस्त्र
(10) गट्ठर – गट्ठर


13. किन्हीं पाँच (5) पारिभाषिक शब्दों के हिन्दी में अनुवाद कीजिए ।

1) Award – पुरस्कार
2) Ambassador – राजदूत
3) Grant – अनुदान
4) Department – विभागीय
5) Formal – औपचारिक
6 ) Increment – वेतन वृदि
7) Identity card – पहचान पत्र
8) Junior – कनिष्ट
9) Lecturer – प्रध्यापक
10) Instructor – अनुदेशक


14. कारक चिह्नों की सहायत से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।

(1) अंग्रेजों ने भारत पर आक्रमण किया ।
(2) माँ ने प्यार से बच्चे को बुलाया ।
(3) मै रामाराव का बेटा हूँ ।
(4) इस किताब में दूसरा अध्याय पढो ।
(5) हम लोगों पर घड़ों पानी पड़ गया ?


15. सूचना के अनुसार वाक्य में परिवर्तन करना :-

(1) तपस्वी ने शाप दिया । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
तपस्विनी ने शाप दिया ।


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